देश आज पूरे उमंग और उत्साह के साथ 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश की राजधानी दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सेना ताकत दुनिया ने देखी। पहली बार परेड में लड़ाकू विमान राफेल ने अपना जलवा बिखेरा। यह एक ऐसा पल था, जिसने हर किसी को जोश और जूनन से भर दिया राफेल ने आसमान के सीने पर करतब दिखाते हुए लोगों को हैरत में डाल दिया।
राफेल को पिछले साल सितंबर में फ्रांस से खरीदा गया था। राफेल लड़ाकू विमान फ्लाइ पास्ट के अंत में अपने करतब दिखाया। राफेल के साथ-साथ मिग-29 फाइटर ने भी राजपथ पर अपने कारनामे दिखाए। इस बार का फ्लाईपास्ट राफेल के वर्टिकल चार्ली फार्मेशन से खत्म हुआ। आखिर इस फॉर्मेशन में क्या खास है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।
900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से राफेल ने वर्टिल चार्ली फॉरेमेशन दिखाया। ये सारे करतब दिखा रहे थे पायलट ग्रुप कैप्टन हरकिरत सिंह और कमांडिंग ऑफिसर स्कॉर्डन लीडर किसलयकांत।
लड़ाकू विमान जब दुश्मन का सामना करते हैं, तो उसका सफाया करने के साथ-साथ खुद को बचाने के भी प्रयास करते रहते हैं। हर पायलट अपने विमान को बचाने के लिए कई तरह के करतब करता है, ताकि दुश्मन का सीधा निशाना उसके विमान पर ना लग सके। इन्हीं में से एक फॉर्मेशन का नाम ‘वर्टिकल चार्ली’ है।
इस फॉर्मेशन के दौरान राफेल जब उड़ान की शुरुआत करेगा, तब वह जमीन के काफी करीब होगा। फिर अचानक ही बिल्कुल ऊंचाई की ओर रुख करेगा और ऊपर ही जाता जाएगा। इस दौरान कुछ रोशनी भी छोड़ी जाएगी, जो करतब के साथ-साथ खुद को बचाने की एक नीति भी है। अधिक ऊंचाई में जाने के बाद राफेल लड़ाकू विमान कई बार हवा में ही पलटी मारेगा और अपना दम दिखाएगा। इसे ही वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन कहा जाता है।
क्या है खास
राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी। अभी तक भारतीय वायुसेना का मिग विमान अचूक निशाने के लिए जाना जाता था, लेकिन राफेल का निशाना इससे भी ज्यादा सटीक होगा।
युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम
ये युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। हवाई हमला, जमीनी समर्थन, वायु वर्चस्व, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध ये सारी राफेल विमान की खूबियां हैं। तकनीक में उन्नत यह विमान हवाई निगरानी, ग्राउंड सपोर्ट, इन डेप्थ स्ट्राइक, एंटी-शर्प स्ट्राइक और परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष है. इसमें मल्टी मोड रडार लगे हैं।
राफेल में अधिकतम भार 24500 किलोग्राम उठाकर उड़ने की क्षमता है। विमान में ईंधन क्षमता 17 हजार किलोग्राम है। यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है। इसे हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता। 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी है।
यह हवा से जमीन पर मार करने में भी सक्षम
150 किलोमीटर की दूरी तक इससे दागी जाने वाली मिसाइल दुश्मन की नजर में जल्दी से नहीं आती। साथ ही यह हवा से जमीन पर मार करने में भी सक्षम है। स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर है। राफेल की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता। राफेल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस
राफेल विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। राफेल लड़ाकू विमानों की कई खासियत हैं, जिनकी वजह से दुश्मन इससे घबराया हुआ है। राफेल लड़ाकू विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। साथ ही ये दो इंजन वाला विमान है। राफेल में हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल लगाई जा सकती हैं. यह एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।
राफेल स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। यानी यह दुश्मन के रडार को चकमा देने के ताकत रखता है। साथ ही इसे इस हिसाब से डिजाइन किया गया है कि यह हिमालय के उपर भी उड़ान भर सकता है। बता दें कि हिमालय के उपर उड़ान भरने की काबिलियत अच्छे-अच्छे लड़ाकू विमानों में नहीं होती है।
देश आज पूरे उमंग और उत्साह के साथ 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश की राजधानी दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सेना ताकत दुनिया ने देखी। पहली बार परेड में लड़ाकू विमान राफेल ने अपना जलवा बिखेरा। यह एक ऐसा पल था, जिसने हर किसी को जोश और जूनन से भर दिया राफेल ने आसमान के सीने पर करतब दिखाते हुए लोगों को हैरत में डाल दिया।
राफेल को पिछले साल सितंबर में फ्रांस से खरीदा गया था। राफेल लड़ाकू विमान फ्लाइ पास्ट के अंत में अपने करतब दिखाया। राफेल के साथ-साथ मिग-29 फाइटर ने भी राजपथ पर अपने कारनामे दिखाए। इस बार का फ्लाईपास्ट राफेल के वर्टिकल चार्ली फार्मेशन से खत्म हुआ। आखिर इस फॉर्मेशन में क्या खास है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।
900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से राफेल ने वर्टिल चार्ली फॉरेमेशन दिखाया। ये सारे करतब दिखा रहे थे पायलट ग्रुप कैप्टन हरकिरत सिंह और कमांडिंग ऑफिसर स्कॉर्डन लीडर किसलयकांत।
क्या है ये वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन?

भारत के आसमान में गरजा राफेल विमान
– फोटो : ANI
लड़ाकू विमान जब दुश्मन का सामना करते हैं, तो उसका सफाया करने के साथ-साथ खुद को बचाने के भी प्रयास करते रहते हैं। हर पायलट अपने विमान को बचाने के लिए कई तरह के करतब करता है, ताकि दुश्मन का सीधा निशाना उसके विमान पर ना लग सके। इन्हीं में से एक फॉर्मेशन का नाम ‘वर्टिकल चार्ली’ है।
इस फॉर्मेशन के दौरान राफेल जब उड़ान की शुरुआत करेगा, तब वह जमीन के काफी करीब होगा। फिर अचानक ही बिल्कुल ऊंचाई की ओर रुख करेगा और ऊपर ही जाता जाएगा। इस दौरान कुछ रोशनी भी छोड़ी जाएगी, जो करतब के साथ-साथ खुद को बचाने की एक नीति भी है। अधिक ऊंचाई में जाने के बाद राफेल लड़ाकू विमान कई बार हवा में ही पलटी मारेगा और अपना दम दिखाएगा। इसे ही वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन कहा जाता है।
क्या है खास
राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को गति मिलेगी। अभी तक भारतीय वायुसेना का मिग विमान अचूक निशाने के लिए जाना जाता था, लेकिन राफेल का निशाना इससे भी ज्यादा सटीक होगा।
युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम
ये युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। हवाई हमला, जमीनी समर्थन, वायु वर्चस्व, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध ये सारी राफेल विमान की खूबियां हैं। तकनीक में उन्नत यह विमान हवाई निगरानी, ग्राउंड सपोर्ट, इन डेप्थ स्ट्राइक, एंटी-शर्प स्ट्राइक और परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष है. इसमें मल्टी मोड रडार लगे हैं।
24500 किलोग्राम उठाकर उड़ने की क्षमता
राफेल में अधिकतम भार 24500 किलोग्राम उठाकर उड़ने की क्षमता है। विमान में ईंधन क्षमता 17 हजार किलोग्राम है। यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है। इसे हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता। 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी है।
यह हवा से जमीन पर मार करने में भी सक्षम
150 किलोमीटर की दूरी तक इससे दागी जाने वाली मिसाइल दुश्मन की नजर में जल्दी से नहीं आती। साथ ही यह हवा से जमीन पर मार करने में भी सक्षम है। स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर है। राफेल की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता। राफेल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस
राफेल विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। राफेल लड़ाकू विमानों की कई खासियत हैं, जिनकी वजह से दुश्मन इससे घबराया हुआ है। राफेल लड़ाकू विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। साथ ही ये दो इंजन वाला विमान है। राफेल में हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल लगाई जा सकती हैं. यह एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।
राफेल स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। यानी यह दुश्मन के रडार को चकमा देने के ताकत रखता है। साथ ही इसे इस हिसाब से डिजाइन किया गया है कि यह हिमालय के उपर भी उड़ान भर सकता है। बता दें कि हिमालय के उपर उड़ान भरने की काबिलियत अच्छे-अच्छे लड़ाकू विमानों में नहीं होती है।