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भारत के लिए जारी आउटलुक में एजेंसी ने कहा, ‘फिच सॉल्युशंस 2019-20 के लिए भारत के वास्तविक जीडीपी विकास अनुमान को 5.1 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी और 2020-21 के लिए 5.9 फीसदी से घटाकर 5.4 फीसदी कर रही है।’ तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में जीडीपी विकास दर घटकर 4.7 फीसदी रह गई, जबकि दूसरी तिमाही में यह 5.1 फीसदी (संशोधित) रही थी। इसकी मुख्य वजह सरकारी खपत, नियत पूंजी निर्माण में सुस्ती और निर्यात योगदान में कमी रही।
फिच सॉल्युशंस ने कहा, ‘आम बजट, 2020-21 से सहारा नहीं मिलने से उद्योग पर दबाव बढ़ जाएगा। हालांकि उद्योग पहले से ही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के संकट के चलते कर्ज की कमी की समस्या से जूझ रहा है।’ एनबीएफसी कंपनियां भारत में कर्ज उपलब्ध कराने के लिहाज से खासी अहम मानी जाती रही हैं।
एजेंसी ने कहा, ‘चीन में कोविद-19 के प्रकोप के चलते वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स की आपूर्ति चेन बाधित होने से भारत के निर्यात विनिर्माण क्षेत्र पर दबाव बढ़ने से हमें यह संशोधन करना पड़ा है। इसका सेवा क्षेत्र पर भी नकरात्मक असर पड़ेगा।’ उम्मीद है कि जून से वायरस का असर कम होने के बाद अलगे वित्त वर्ष में कुछ सुधार देखने को मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में व्यापक सुधार देखने को मिलना चाहिए।