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इसके कारण उच्च अधिकारियों में भी नाराजगी है। इसीलिए बैठक के दौरान सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को आइसोलेशन वार्ड बनाने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं दिल्ली के सभी आपदा प्रबंधन विभाग को जिला स्तर पर तैयारियों का विवरण एकत्रित करने के निर्देश भी दिए हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर विभाग से जानकारी नहीं मिली है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 जनवरी को पहली बार सभी राज्यों के साथ बैठक कर अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से लगातार हर दिन केंद्र की ओर से निगरानी की जा रही है। दिल्ली सरकार भी दो बार कोरोना वायरस को लेकर एडवाइजरी जारी कर चुकी है जिसमें लोगों को सलाह दी गई कि वे क्या करें और क्या न करें? वहीं अस्पतालों के स्तर पर तैयारियां दिखाई नहीं दीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल दिल्ली के चुनिंदा सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थानों में शामिल है। यहां हर दिन 6 से 8 हजार मरीज ओपीडी में उपचार कराने जाते हैं। इसीलिए यहां सरकार का सबसे ज्यादा फोकस है। लोकनायक अस्पताल में अब तक कोरोना वायरस को लेकर कोई तैयारी नहीं है। जल्द ही यहां गेस्ट हाउस में व्यवस्था की जाएगी। ठीक इसी तरह से डीडीयू, जीटीबी, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी, जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों को भी आपात अलर्ट पर रखा गया है।
वहीं केंद्र सरकार के दिल्ली में स्थित अस्पतालों में पिछले एक महीने से संदिग्ध मरीजों की जांच, इलाज इत्यादि चल रही है। नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल), सफदरजंग और एम्स को कोरोना वायरस की आशंका के मद्देनजर हाई अलर्ट पर रखा गया है। सफदरजंग अस्पताल में करीब 50 के आसपास संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। वहीं आरएमएल में भी 50 से ज्यादा संदिग्ध मरीजों को उपचार देकर घर भेजा जा चुका है।
कमरे में वॉशरूम होना जरूरी
बैठक के दौरान निर्देश दिए हैं कि जिन कमरों में वॉशरूम साथ होगा, उन्हें ही आइसोलेशन के लिए रखा जा सकता है। ये कमरा पूरी तरह से आइसोलेशन में होगा। यहां खाना-पीना इत्यादि का प्रबंध भी अस्पताल में किया जाएगा। एक प्रकार से होम सर्विलांस की तरह इन्हें रखा जाना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां तक बताया कि सभी अस्पतालों को कोरोना की तैयारियों को प्राथमिकता पर रखना है। अगर बिस्तर या वार्ड नहीं है तो उसकी कुछ और व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन को ही करनी पड़ेगी।
1100 से ज्यादा लोगों की जांच जरूरी
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में अब तक स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने जिला स्तर पर सूची तैयार की है। इसमें 1100 के आसपास लोगों के नाम और पते हैं जिनकी जांच कराना जरूरी है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन्हें घर के नजदीक बड़े अस्पताल में आइसोलेशन में 14 दिनों तक रखा जा सकता है।