डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Updated Fri, 06 Mar 2020 12:01 AM IST
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भारत और नेपाल के इन इलाकों के बीच ये द्विपक्षीय करार बुधवार को बैताड़ी के मुख्य जिला अधिकारी आनंद पौडेल, धारचुला के सीडीओ यदुनाथ पौडेल और पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी बिजय कुमार जोगडंडे के अलावा तमाम आला अफसरों की मौजूदगी में हुआ।
ये जानकारी बैताड़ी के सीडीओ आनंद पौडेल ने दी और बताया कि दोनों पक्षों के बीच अब हर तीन महीने में बैठक होगी और कामकाज की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में दोनों तरफ के अफसरों ने तय किया कि कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए एक हेल्थ डेस्क बनाया जाएगा जिसमें हर तरह के एहतियात बरतने के साथ आने जाने वालों को उचित सूचनाएं और जानकारियां दी जाएंगी। दोनों पक्षों ने कोरोना से जुड़ी हर छोटी बड़ी सूचना का एक दूसरे से आदान प्रदान करने का भी फैसला किया है।
भारत नेपाल के बीच खुली सीमा रहने से असामाजिक तत्वों के आने जाने के अलावा गौरकानूनी व्यापार के रास्ते भी खुले रहते हैं। आपराधिक गतिविधियों से लेकर गैरकानूनी घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। जाहिर है ये दोनों ही देशों के लिए रोजमर्रा की दिक्कत हैं और इसे रोकने के लिए सीमाई जिले लगातार कोशिश भी करते हैं, लेकिन कोई कारगर समाधान नहीं निकल पाता। उम्मीद की जा रही है कि इस सात सूत्री समझौते से शायद स्थितियां कुछ सुधरें।
भारत और नेपाल के बीच लंबी खुली सीमा है। दोनों ओर सीमा का विभाजन महाकाली नदी करती है। सीमा पर स्थित झूलाघाट, जौलजीबी और धारचूला कस्बों में झूलापुलों से आवाजाही होती है। खुली सीमा होने के कारण नदी के किनारे के गांवों में नेपाल में बनी खुखरी, सिगरेट और दूसरे सामानों के साथ ही भारत से डीजल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, बीड़ी, टायर की तस्करी होती है।
तस्करी में लगे लोग नाव, ट्यूब आदि से अंधेरे में सामान इधर से उधर पहुंचाते हैं। भारत-नेपाल सीमा और इसके तहत पड़ने वाले पुलों की सुरक्षा भारत में एसएसबी करती है। नेपाल की ओर से अब तक पुलों की निगरानी नेपाल प्रहरी करती रही।